What is White Balance और इसे किस तरह से इस्तेमाल करते हैं |
What is White Balance in Photography?
आपको अब अछे से फोटो क्लिक करना तो आगया लेकिन आपने बहुत बार देखा होगा जब भी आप फोटो क्लिक करते हैं तो कभी–कभी तो आपकी फोटो एकदम सही रंग दिखाती है लेकिन कभी कभी उस पर नीले या पीले रंग का प्रभाव दिखता है |
इसके पीछे एक कारण है |
इस चीज को हम बिल्कुल शुरुआत से जोड़ते हैं | यह तो आप जानते ही हैं कि किसी भी फोटो को खींचने के लिए रौशनी की आवश्यकता होती है बिना रौशनी की कोई भी फोटो संभव नहीं है | हर रोशनी का अलग रंग तापमान होता है |
हमारी आंखों को ही ले लीजिए हम सिर्फ वही देखते हैं जिन चीजों पर रौशनी पड़ती है रौशनी उन चीजों से टकराकर हमारी आंखों में जाती है और हमारा दिमाग बताता है कि वह चीज क्या है उसका रंग क्या है वह दिखती कैसी है इत्यादि | ठीक वैसे ही कैमरे के अंदर भी होता है जब भी हम किसी चीज का फोटो लेते हैं तो जिससे रौशनी से टकराकर हमारी कैमरा के अंदर आती है वह उस सब्जेक्ट का रंग तय करती है अलग–अलग रौशनी के अंदर एक ही सब्जेक्ट अलग–अलग तरह के रंग प्रकाशित करता है|
हमारी आंखों को भी वह रंग वही दिखाई देते हैं जो अलग अलग रौशनी से प्रकाशित किए जाते है | लेकिन हमारा दिमाग उन रंगों को सही कर देता है उदाहरण के तौर पर सफेद रंग चाहे वह किसी भी रोशनी के अंदर हो हमे सफ़ेद ही दिखाई देता है | लेकिन कैमरा में ऐसा नहीं है हमें कैमरा को बताना पड़ता है कि कौन सी रोशनी सब्जेक्ट के ऊपर पड़ रही है जिसकी वजह से हमारा कैमरा सफेद को सफेद ही रखें | सफेद रंग को सफेद रंग की तरह ही दिखाने की प्रक्रिया को व्हाइट बैलेंस कहा जाता है |
कलर टेंपरेचर या रंग तापमान |
सभी प्रकार की रोशनी में किसी न किसी प्रकार का कलर टेंपरेचर होता है |
इस कलर टेंपरेचर को हम केल्विन में नापते हैं |
अलग अलग लाइट सोर्स का अलग–अलग कलर टेंपरेचर होता है |
उदाहरण के तौर पर :-
घरों में इस्तेमाल होने वाली लाइट का कलर टेंपरेचर :- 2500 से 3500 K
सूर्योदय व सूर्यास्त के समय पर सूरज की रोशनी का टेंपरेचर :- 3000 से 4000 K
कैमरा की फ्लैश का टेंपरेचर या सूरज की रोशनी का टेंपरेचर :- 5000 से 6000 K
जब काफी ज्यादा बादल हो उस समय लाइट का टेंपरेचर :- 6500 से 10000 K
आपके कैमरा में कुछ इस तरह से दिखता है व्हाइट बैलेंस :-
जैसा कि आपने देखा शुरुआती तौर पर आपका व्हाइट बैलेंस हमेशा ऑटो में ही रहता है |
बहुत से कैमरा मैन्युफैक्चरर्स ऑटो व्हाइट बैलेंस मोड को इतना सक्षम बना देते हैं कि काफी बार आपको व्हाइट बैलेंस बदलने की जरूरत ही नहीं पड़ती|
लेकिन अगर ऑटो व्हाइट बैलेंस रखने के बावजूद भी आपकी फोटो पर नीला या पीले रंग का प्रभाव ज्यादा पड़ रहा है तो आप नीचे दिए गए कुछ लाइट सोर्सेस का चयन कर सकते हैं |
कैमरा में दिए गए लाइट सोर्स का कलर टेंपरेचर नीचे दिया गया है |
इंकंडेसेंट :- इसका कलर टेंपरेचर 2400 से 3000K तक रहता है |
फ्लोरोसेंट :- इसका कलर टेंपरेचर 3500 से 4100K तक रहता है |
डायरेक्ट सनलाइट :- इसका कलर टेंपरेचर 5000 से 6500K तक रहता है |
फ़्लैश :- इसका कलर टेंपरेचर 5500 से 6000 K तक रहता है |
क्लॉउडी :- इसका कलर टेंपरेचर 6500 से 7500 K तक रहता है |
शेड :- इसका कलर टेंपरेचर 9000 से 10000K तक रहता है |
इसके अलावा काफी सारे कैमरा मैं K प्रीसेट की भी सुविधा होती है |
जिसकी मदद से आप अपने हिसाब से अपना वाइट बैलेंस का चयन कर सकते है की आपको कितना कलर टेम्परेचर चाहिए अपनी फोटो के अंदर |
निचे इमेज में एक ही फोटो को अलग White Balance पर खींचा गया है जिससे आपको अचे से मतलब समझ में आये |
Custom White Balance
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आशा करता हु की आपको वाइट बैलेंस का मतलब समझ में आगया होगा |
आर्टिकल पड़ने के लिए धन्यवाद् |